जानवरों के अंगो का ट्रांसप्लांट मनुष्य में
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जानवरों के अंगो का ट्रांसप्लांट मनुष्य में -
जानवरों ( सूअर, गाय, बंदर, चिम्पांजी ) आदि के अंगो का ट्रांसप्लांट मनुष्य में करने या इन जानवरों का रक्त ग्रहण करने में खतरा होता है | क्योंकि कुछ अज्ञात वायरस मानव शरीर में प्रवेश कर सकते हैं | जिसके कारण ये बाहरी वायरस, जीवाणुभोजी या जीवाणु जातीय विशिष्टता को तोड़कर मनुष्य को संक्रमित कर सकते हैं |
जातीय विशिष्टता के अनुसार जो जीव मनुष्य में रोग जनक है वो इन जंतुओं ( सूअर, गाय, बंदर, चिम्पांजी ) आदि में रोग जनक नहीं हो सकता या रोग उत्पन्न नहीं कर सकता |
अनेक वायरस सूअर, चूहों में रोग फैलाते हैं लेकिन मनुष्य के शरीर में प्रवेश करने पर या कराने पर निष्क्रिय या अरोग कारक होते हैं जो मनुष्य के लिए घातक नहीं होते है | क्योंकि ये किसी विशेष जाती में ही रोग उत्पन्न कर सकते हैं | जैसे कोई रोग कारक चिम्पांजी के लिए हानिकारक है तो मनुष्य के लिए हानिकारक नहीं होगा | या मनुष्य में रोग उत्पन्न नहीं करेगा |
लेकिन कुछ वायरस जातीय विशिष्टता को तोड़कर अन्य जाती के जीवों में भी रोग उत्पन्न कर सकतें हैं | जैसे – “ बर्ड फ्लू ”
यह बर्ड फ्लू नामक वायरस सामान्यता मुर्गियों में रोगजनक वायरस सिद्ध होता था | ( मुर्गियों में रोग फैलाता था | ) लेकिन कुछ वर्ष पहले यह वायरस मनुष्य में भी रोग फ़ैलाने लगा है |
इस कारण जानवरों ( सूअर, गाय, बंदर, चिम्पांजी ) की प्रत्येक कोशिका की जीन में ऐसे वायरस कोडित या कोड हो सकते हैं | इसलिए यदि पूर्ण सूअर की बजाय चार हफ्ते के गर्भ से कोशिका ली जाए तो भी ये खतरा बना रहता है |
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