वेदों और पुराणों के अनुसार भूत का स्पष्टीकरण
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वेदों और पुराणों के अनुसार भूत का स्पष्टीकरण –
- मनुष्य के बाल का 100 वां भाग और इस 100 वें भाग का 99 वां भाग आत्मा का सूक्ष्म रूप है | इस 99 वें भाग का 99 वां भाग प्रेत - आत्मा का सूक्ष्म रूप है |
- भूत - प्रेत मनुष्य के डरने पर उनकी ऊर्जा ग्रहण करतें हैं | अर्थात् भूत – प्रेत मनुष्यों से ही ऊर्जा ग्रहण करतें हैं | उनकों नुकसान पहुँचाने या डराने के लिए |
मनुष्य के डरने पर मनुष्य की ऊर्जा कम होतीं हैं और भूत की ऊर्जा बढ़ती जाती हैं | जितना मनुष्य डरता हैं |
- मनुष्य की अकाल / असमय मृत्यु होने पर व पूर्ण काल में मृत्यु होने पर मनुष्य का फ्रीक्वेंसी ( Frequency ) लेवल / स्तर अलग होता हैं |
अकाल या असमय मृत्यु होने पर विचलित प्रकार का होता हैं |
- कुछ लोगों को भूत दिखतें हैं तो कुछ को नहीं दिखतें | ऐसा क्यों होता हैं |
विज्ञान के अनुसार - अधिक ऊर्जा निम्न ऊर्जा की ओर गमन करती हैं | जबकि निम्न ऊर्जा अधिक ऊर्जा की ओर गमन नही करती हैं |
ऊर्जा स्तर का स्पष्टीकरण -
अधिक ऊर्जा युक्त ( मनुष्य ) दिखाई नहीं देगा भूत
निम्न ऊर्जा युक्त ( मनुष्य ) दिखाई देता है भूत
हनुमान चालीसा या पवित्र ग्रन्थों को बोलने या उच्चारण करने से ऊर्जा का स्तर बढ़ जाता हैं | क्योंकि पॉजिटिव ( +ve ) ऊर्जा का स्तर बढ़ने से नेगिटिव ( -ve ) ऊर्जा शरीर से बाहर निकलती हैंं |
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